किसी भी जातक के जीवन में मिल रही सफलता या असफलता में बृहस्पति ग्रह का योगदान होता है। परंतु गुरु ग्रह की पाप ग्रह राहु के साथ हो युति बन जाए साथ ही यह लग्न के पंचम या नवम भाव में हो तो यह विनाशकारी फल देता हैं ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु चांडाल योग दोष के कारण कुंडली के सभी शुभ योग नष्ट हो जाते हैं, नकारात्मक गुण बढ़ा देता है। जातक का चरित्र कमजोर और मान-सम्मान में गिरावट आती है। राहु पक्ष बलवान होने से जातक गलत संगत में पड़ जाता है।
गुरु चांडाल दोष से जातक का धन व्यर्थ के कार्यों पर खर्च होता, जातक को व्यापार और नौकरी में भारी धन हानि उठानी पड़ती है, गुरु चांडाल योग जातक के जीवन से सुख-शांति खत्म कर देता हैं , जातक पारिवारिक विवाद में पड़कर सम्मान खो देता है। इसलिए इस अशुभ योग को सभी योग अशुभ योगो से भी ज्यादा खतरनाक और विनाशकारी माना गया है।
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