कालसर्प दोष का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर चिंता छा जाती है इस दोष में राहु और केतु ग्रह का प्रभाव विशेष रूप से महसूस होता है। यह दोष विवाह, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति आदि के क्षेत्र में परेशानी पैदा कर सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच 9 में से 7 ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष होता है।
काल सर्प दोष को बहुत ही हानिकारक और अनिष्टकारी माना गया है। कुंडली में काल सर्प दोष हो तो जातक को मानसिक और शारीरिक पीड़ा होती है
कालसर्प दोष के कारण जातक को जीवन में सफलता नहीं मिलती है। कई तरह की परेशानियां जीवन में लगी रहती हैं। पारिवारिक और वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिल पाता. आर्थिक स्थिति हमेशा खराब बनी रहती है
किसी भी जातक के जीवन में काल सर्प योग राहु और केतु के बीच में सब ग्रहो के आ जाना है। राहु को “साँप” और केतु को “सांप की पूंछ” माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 1२ प्रकार के विभिन्न काल सर्प योग है, जैसे अनंत, कुलिका, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूर, घटक, विषधर और शेष नाग ।
कालसर्प दोष निवारण से पहले कालसर्प दोष प्रकार का पता लगाना जरूरी माना गया है
काल सर्प योग के कुछ अन्य कारण भी हैं, यदि कोई जातक सांपों को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे अपने अगले जन्म में काल सर्प योग दोष से सामना करना पड़ता है। हमारे मृत पूर्वजों की आत्माए नाराज होने से भी यह दोष कुंडली में पाया जाता है।
जिस जातक के कुंडली में यह दोष रहता है उसे सांपों और साँप (सर्प) से काटने के सपने देखता है और अक्सर मृत लोग सपने में दिखाई देते हैं।